कब आओगे
कब आओगे
आधार छंद-- पद्मावती सममात्रिक मापनी मुक्त
यति - 10,8,१४
परिचय-- लाक्षणिक 32 मात्रा
वर्ग भेद -- (35,24,578)
पदांत-- दो गुरु आवश्यक
तुम कब आओगे, कब खाओगे, चुन - चुन कर बेर हमारे।
अब राह निहारुँ, पाँव पखारूँ, तरसे हैं नैन हमारे।।
शबरी की पूजा, तुम बिन दूजा, क्या कोई समझ सकेगा।
बरसों हैं बीते, नैना रीते, दुख क्या कोई हर लेगा।।
हे राम सुनो अब, आकर के सब, श्रम मेरा सफल बनाओ।
मेरी सुधि लेकर, दर्शन देकर, भवसागर पार कराओ।।
की कठिन तपस्या, मैं अल्पज्ञा, तुम मन की ज्योत जलाओ।
हे करुणासागर, सुख की गागर, तन - मन हर्षित कर जाओ।।
सुनि वचन सुजाना, मन में ठाना, शबरी को माता माना।
झूठे फल खाते, नहीं अघाते, छवि राम नाम की नाना।।
भक्तों की सुनते, जन - जन चुनते, हैं राम लला सुख धामा।
हरि दर्शन पावे, मन से ध्यावे, है राम नाम सुख दामा।।
*दामा - समुद्र
आभार - नवीन पहल- १८.०४.२०२४ 🙏🏻🙏🏻
#दैनिक प्रतियोगिता हेतु कविता